मक़ाम तरन्नुम के गीत लिखता गया, कुछ अनदेखा भी दिखता गया, सफर में कोई हमनशीं ना मिला, जीने का कोई यकीं ना मिला, सारा ज़माना चलते देखा, हिम्मत को भी पलते देखा, आया जब याद वो पुराना गाना, अपनों को कर गया बेगाना, मेरी याद क्या किसी को आई, हश्र मिटा देगी ये तन्हाई, सपना ज्यों का त्यों पलता गया, उम्र दर उम्र ख्वाब गलता गया, अब तो ख्वाबों को जमीं देदो, बेबस को खोया यक़ीं देदो, तुम्हारी ही याद का इंकलाब है, महकता तुम्हारे लिए ही गुलाब है, निर्दयी तो नहींं तुम्हारा ये जो दिल है, क्या इसमें जगह बनाना अभी भी मुश्किल है, सपनों का तुम्हारे लिए अब भी एक एहतिराम है, मिला जो मुझे कभी नहींं ये वो मक़ाम है! ©Rangmanch Bharat #nojoto #nojotohindi #nojotohindipoetry #hindi_poetry #hindi_shayari #Quotes #nojotoshayari #rangmanchbharat #Shayari #newplace