घूंघट में दब के रह गयी कितने ही कितनी ख्वाहिशें, कितनी महत्वकांशा और प्रतिभाएं कहना चाहकर कर भी कह नही पाये, संस्कारों के नाम पर घुट गए आंसू पीने वाले, कभी स्त्री सुलभ लज्जा तो कभी, परिवार और समाज के नाम पर संस्कृति तो बदल चुकी थी पहले ही कभी, धोती-कुर्ते से और पगड़ी से फिर क्यों संस्कृति बदनाम हुई जा रही है आज महिलाओं की जीन्स से आज की स्त्री पहुँची है, घर से आसमान तक तो चलो समाज को बदलने से पहले अपनी खुद की सोच को थोड़ा बदले...सुमन #yqbaba #yqdidi #yqkakasa #घूंघट #yqchallenge