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✍️आज की डायरी ✍️ सुकूँ... ✍️✍️ सुकूँ की तलाश म

✍️आज की डायरी ✍️

  सुकूँ... ✍️✍️

सुकूँ की तलाश में भटकता ही रह गया  । 
पता चला कि वो अंदर ही सिमटा हुआ है  ।। 

लालच, घुटन,और जलन से दूर ख़ुद को रखो  । 
इन्हीं के बीच ये सुकून कहीं भटका हुआ है  ।। 

संतुष्टि की भावना जिनमें नहीं है इस जहाँ में । 
चादर से अधिक उनका पाँव निकला हुआ है  ।। 

मुस्कुराहट भी तुम्हारे दुःख दर्द कम कर देता है  । 
दुःखी रहकर आख़िर किसको क्या मिला हुआ है  ।।

ये जिंदगी का सफ़र है सम्हल के चलना होगा "नीरज"। 
हर कदम जो लड़खडाए वो ही बिखरा हुआ है  ।। 

          ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #peace
✍️आज की डायरी ✍️

  सुकूँ... ✍️✍️

सुकूँ की तलाश में भटकता ही रह गया  । 
पता चला कि वो अंदर ही सिमटा हुआ है  ।। 

लालच, घुटन,और जलन से दूर ख़ुद को रखो  । 
इन्हीं के बीच ये सुकून कहीं भटका हुआ है  ।। 

संतुष्टि की भावना जिनमें नहीं है इस जहाँ में । 
चादर से अधिक उनका पाँव निकला हुआ है  ।। 

मुस्कुराहट भी तुम्हारे दुःख दर्द कम कर देता है  । 
दुःखी रहकर आख़िर किसको क्या मिला हुआ है  ।।

ये जिंदगी का सफ़र है सम्हल के चलना होगा "नीरज"। 
हर कदम जो लड़खडाए वो ही बिखरा हुआ है  ।। 

          ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #peace