आहिस्ता-आहिस्ता छोड़कर जाना तुम मुझे इक साथ यह 'साँसे' सम्भल ना पाएगी मेरी !! आहिस्ता-आहिस्ता ही देना ज़ख्म तुम मुझे इक साथ देह मेरी ज़ख्म सहन ना कर पाएगी !! आहिस्ता-आहिस्ता दिखाना रंग अपना मुझे एक साथ 'ज़िन्दगी' मेरी यह बेरंग हो जाएगी !! आहिस्ता-आहिस्ता निकलना राह से मेरी तुम साँस पहचानती तुम्हें, प्राण विहीन हो जाएगी !! आहिस्ता-आहिस्ता तोड़ना गुरूर मेरा इश्क़ का तेरे बदल जाने का विश्वास रूह नहीं कर पाएगी!! ♥️ Challenge-826 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।