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राज़ कई थे आंखो मे, निंदिया बन के रह गए बाकी टूटे

राज़ कई थे आंखो मे, निंदिया बन के रह गए
बाकी टूटे फूटे रिश्ते, दरिया बन के बह गए।
नांव बनाए बैठा रिश्ता, लहरों के गलियारों में
बाग में मेरे सपनो के वो कलिया बन के रह गए।

साधारण में सादर सा, मे भवसागर में गागर सा
बाधा भी निवारण भी मे दीवाना में पागल सा।
में दुर्वादल के बंजर सा, दलदल के काफी अंदर सा
मीठी छुरियां गांव की शहरो के तीखे खंजर सा। दो अलग रचनाएं, किंतु जुड़ती कड़ी है रिश्ते...
आप अपनी वास्तविकता के साथ ये रचनाएं जोड़ कर, मर्म समझ के comment करे।
#dharmuvach #yqdidi #yqhindi #doalagbaatein #onememory #samemeaning
राज़ कई थे आंखो मे, निंदिया बन के रह गए
बाकी टूटे फूटे रिश्ते, दरिया बन के बह गए।
नांव बनाए बैठा रिश्ता, लहरों के गलियारों में
बाग में मेरे सपनो के वो कलिया बन के रह गए।

साधारण में सादर सा, मे भवसागर में गागर सा
बाधा भी निवारण भी मे दीवाना में पागल सा।
में दुर्वादल के बंजर सा, दलदल के काफी अंदर सा
मीठी छुरियां गांव की शहरो के तीखे खंजर सा। दो अलग रचनाएं, किंतु जुड़ती कड़ी है रिश्ते...
आप अपनी वास्तविकता के साथ ये रचनाएं जोड़ कर, मर्म समझ के comment करे।
#dharmuvach #yqdidi #yqhindi #doalagbaatein #onememory #samemeaning
dharmdesai1546

Dharm Desai

New Creator