मैं जानती हूं कि मैं अकेले दुनिया या लोगों की सोच नहीं बदल सकती। पर मैं लिख तो सकती हूं ना। ये कलम ना बड़ी कमाल की चीज है राजा को फकीर और फकीर को राजा बनाने में देर नहीं करती है। मैं जानती हूं कि मैं अकेले दुनिया या लोगों की सोच नहीं बदल सकती, पर मैं कोशिश ना करूं ये तो गलत होगा ना। नतीजा किसने देखा है? बस कोशिश करते रहिए। और इसी कोशिश के साथ आओ मिल कर दिप जलाये और एकता का प्रतीक बने। कोशिश क्यो न करे.........