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उसकी तासीर वक्त जैसी है वो हर वक्त बदल जाती है। प

उसकी तासीर वक्त जैसी है
वो हर वक्त बदल जाती है। 
पर इतनी नासमझ भी नहीं है, समझाने से संभल जाती है..
 ज्यो ही शाम होती है वो कुछ ऐसे मचलती है।
पाव टिकते नहीं घर में, वो छत पर आ जाती है। 
कोई समझाए उसको यू न छत पर आया करे, 
बेवजह eid की तारीख बदल जाती है..
. Ansar

©Ansari shahbaj #sayeri ansari 

#Ansar  मै और मेरी शायरी...
उसकी तासीर वक्त जैसी है
वो हर वक्त बदल जाती है। 
पर इतनी नासमझ भी नहीं है, समझाने से संभल जाती है..
 ज्यो ही शाम होती है वो कुछ ऐसे मचलती है।
पाव टिकते नहीं घर में, वो छत पर आ जाती है। 
कोई समझाए उसको यू न छत पर आया करे, 
बेवजह eid की तारीख बदल जाती है..
. Ansar

©Ansari shahbaj #sayeri ansari 

#Ansar  मै और मेरी शायरी...

#sayeri ansari #Ansar मै और मेरी शायरी... #अनुभव