दिल करता है उठाऊं कलम और शादे कागज़ पर तन्हाई लिख दू खुशियाँ लिखूं हक़ में तुम्हारे और अपने क़िस्मत में जुदाई लिख दू बदनाम तुम नहीं हो दुनिया में अपनी तरफ़ से कोई सफाई लिख दू तुम्हारा नाम हो वफ़ा की सूची में अपने नाम के आगे बेवफाई लिख दू कुछ लिख ही तो नहीं पाता विरुद्ध तेरे यकीं मानो दिमाग कहता है तुम्हे हरजाई लिख दू फिर दिल कहता है नहीं उठाऊं कलम और बस तन्हाई लिख दू।। ©Prashant kumar pintu #likh du