श्रृष्टि में खुद प्रेम लिखा ,और शक्ति को भी स्वयं चुना , पर प्रेम को परिभाषित करने को, शिव भी वर्षो रुके रहें।। शक्ति ने प्रेम स्वीकार किया, जिसका शिव ने आधार दिया, पर लिखा प्रेम पाने को भी, शक्ति ने,वर्षो ताप सहे।। सहज नहीं है जीवन मिलना, मुश्किल है की प्रेम सरल हो। देवों ने भी किया समर्पण, फिर कैसे ये सहज हो नर को। ©Vishwas Pradhan #shivshakti #premkavita