Nojoto: Largest Storytelling Platform

बंधी थी पट्टियां उजाले की इस कदर अंधेरा नजर आता नह

बंधी थी पट्टियां उजाले की इस कदर
अंधेरा नजर आता नहीं था
कोशिशें थी अथाह सागर सी 
सीमित समय की पाबंदी में
मेरी आवाजें ठिठक सी गईं
मगर स्मृति ही थी क्योंकि ,
कसक बाकी है
वो चेहरा कभी नजर आता नहीं था।

©Shilpa yadav 
  #ourlifestruggle
#स्मृति 
#आवाज