Find the Best स्मृति Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutपिताजी की स्मृति में कविता, अल्पकालिक स्मृति क्या है, स्मृति क्या है, प्राचीनतम स्मृति है, स्मृति का अर्थ हिंदी में,
Khushi Kandu
White व्यक्ति चला जाता है पर स्मृतियां रह जाती हैं शेष, स्मृतियां हो जाती ओझल, पर रह जाते कुछ अवशेष।। ©Khushi Kandu #SAD #स्मृति #अवशेष
स्मृति.... Monika
मैं निरी काठ थी,तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी, मैं टूटा साज थी, तेरे उर से निकल बन गई माधुरी, मैं तो निराश थी, तेरी भक्ति ने जीवन को देदी धुरी, गिरने से पहले मेरे मोहन! हाथ थाम लेना मेरा यूँ ही, तुम बिन अधूरी थी मैं, स्मृति तुमसे ही होती पूरी, बेरंग सी थी मैं , तेरे प्रेम में रंग,बन गई सिंदूरी, मैं निरी काठ थी, तेरे हाथों में आके बन गई बांसुरी || ©स्मृति.... Monika #radhegovind#स्मृति तुमसे ही #होती पूरी
#Radhegovind#स्मृति तुमसे ही #होती पूरी
read moreAmit Singhal "Aseemit"
बचपन में अंकित हो जाती है, मानस पटल पर जो स्मृति। वही जीवन को बना जाती है, वीभत्स या सुंदर कलाकृति। ©Amit Singhal "Aseemit" #स्मृति
Poonam
वो धुंधली सी स्मृति तुम्हारी आज भी शेष है मुझमें कहीं ©Poonam #स्मृति #धुंधली #शेष
VED PRAKASH 73
कोई भी स्त्री बनावटी प्यार से बहुत दिनों तक संतुष्ट नहीं रह सकती हर व्यक्ति में स्वार्थ का पुट रहता है यह स्त्री पर है कि वह अपने लिए और स्त्री के रूप में अपने लक्ष्य के लिए मोर्चा ले... -मिलान कुंदेरा (1929-2023) ©VED PRAKASH 73 #स्मृति
Shilpa Yadav
भटकते हुए एहसास समेटने के चक्कर में अक्सर भटकते हैं लोग,चींटी जैसे शक्कर में ©Shilpa yadav #JodhaAkbar #आंगन #स्मृति#स्मृति
#JodhaAkbar #आंगन #स्मृति#स्मृति
read moreShilpa Yadav
खण्ड खण्ड का मोल नहीं व्याकुलता का तोल नहीं मन्द हुए स्नेह का बोल नहीं खण्डहर हुए मन का तनिक तो तिनका सजाओ बीत चुका है बहुत कुछ जो बचा है अब उसे बचाओ। । ©Shilpa yadav #City #स्मृति #संस्कार
स्मृति.... Monika
स्मृति की गीतांजलि गीत [4] अपने ही विचारों की श्रृंखला से है मुझे पता चला तुम ही परम सत्य हो जिसने मेरे ह्रदय में सुबुद्धि को जागृत किया, प्रेम के अश्रुधार से सकल कलख को बहा और अंतर्मन में प्रणय -पुष्प को खिला भाव की गंगा बहा, स्व ह्रदय में तव आलय बना दिया तुम मुझमें हो निहित यह कर्म से ही होगा विदित मनसा, वाचा, कर्मणा से न कभी होऊँ मैं च्युत मुक्ति का तुम द्वार हो,तुम अक्षर, तुम अच्युत | ©स्मृति.... Monika #स्मृति की गीतांजलि #गीत (4)
'मनु' poetry -ek-khayaal