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बिजली  सी   गिराई   क्यूँ   तुमने इन  शोख  नज़र  स

बिजली  सी   गिराई   क्यूँ   तुमने 
इन  शोख  नज़र  से  इशारों  की ,
कभी  नज़र  न लग  जाए  यूँ  ही 
इस  ज़मीं को चाँद  सितारों  की, 
कहीं  बहक  न जाऊं  मस्ती   में 
महफ़िल  में   पुराने    यारों   की ,
यादों  से महका  दिल  का चमन 
हो  फिक्र किसे  फिर बहारों  की ,
तुम   नूर  सी  बसी  निगाहों   में 
फिर कमी  हो कैसे  नज़ारों  की ,
धड़कोगी जब  तक  धड़कन  में 
चाहत  नहीं  किसी  सहारे   की

©Alok Saxena
  #luv