तेरी मनमोहक मूरत से जब से लड़ गयी अंखिया, तुम्ही को बस निहारे हूँ, ना भायें अब कोई बतियाँ, वो कौन छलिया है,ये पूछें हैं सभी सखियाँ, जरा हमरी भी सुध ले लो, ना कटती तुझ बिन ये रतियाँ। ©Shraddha # प्रेम