जोगीरा सा रा रा रा।।। अंधों की नगरी है भैया, काना बना है राजा, बहनों की इज़्ज़त लुटती, भाई बजाए बाजा। कि कलियुग आंख दिखाए। होए कि कलियुग आंख दिखाए।। बहुमत बहुमत करते करते सत्ता है हथियायी। चोरों की तो बात पुरानी, ताला तोड़े सिपाही। कौड़ी में न्याय बिकाये। होए कि कलियुग आंख दिखाए।। पंडित कौन, कौन मूर्ख, सब एक तराज़ू तुलते। लाठी जिसके हाथ मे भैया, नेता वही तो चुनते। कि जनता लाठी खाये। होए कि कलियुग आंख दिखाए।। पट्टा डाल गले मे जनता बन कुत्ता गुर्राती। लोकतंत्र की बेदी पर मतपेटी भी शर्माती। अंगूठा तो दियो लगाए। होए कि कलियुग आंख दिखाए।। जोगीरा सा रा रा रा, होय जोगीरा।।। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote जोगीरा।।।1