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देहरी के उस पार ख़्वाहिशें आज़ाद हैं खुला आसमान है ब

देहरी के उस पार ख़्वाहिशें आज़ाद हैं खुला आसमान है
बंद  हूँ  कफ़स में मुद्दत्तों से उस पार रूह मेरी परवाज़ है
ज़ालिम   दुनिया  ने  की  है  संगदिली  मुझ  से 'सफ़र'
आज   उड़   जाने  दे  मुझे, उस  पार   ज़िन्दगी  गुलज़ार है 🌝प्रतियोगिता-107🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"देहरी के उस पार"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
देहरी के उस पार ख़्वाहिशें आज़ाद हैं खुला आसमान है
बंद  हूँ  कफ़स में मुद्दत्तों से उस पार रूह मेरी परवाज़ है
ज़ालिम   दुनिया  ने  की  है  संगदिली  मुझ  से 'सफ़र'
आज   उड़   जाने  दे  मुझे, उस  पार   ज़िन्दगी  गुलज़ार है 🌝प्रतियोगिता-107🌝
 
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केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I

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