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तुम अगर साथ देने का वादा करो मैं यूँ ही मस्त नग़मे

तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग़मे लुटाता रहूँ
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैं तुम्हें देखकर मुस्कराता रहूँ ।

कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर
मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं 
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं 
हमको चेहरे से हटना गवारा नहीं 
तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो 
मैं हर इक शय से नज़रें चुराता रहूँ ।

मैने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे 
तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो 
तुम न समझो तुम्हारा मुक़द्दर मैं 
मैं समझता हूँ तुम मेरी तक़दीर हो
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो 
मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ ।

मैं अकेला बहुत देर चलता रहा 
अब सफ़र ज़िन्दगानी का कटता नहीं 
जब तलक कोई रंगीं सहारा न हो 
वक़्त क़ाफ़िर जवानी का कटता नहीं 
तुम अगर हमक़दम बनके चलती रहो 
मैं ज़मीं पर सितारे बिछाता रहूँ 
तुम अगर साथ देने का वादा करो...

©Monu Kumar Sahgal
  #Light तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग़मे लुटाता रहूँ
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो
मैं तुम्हें देखकर मुस्कराता रहूँ ।

कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर
मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं 
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं

#Light तुम अगर साथ देने का वादा करो मैं यूँ ही मस्त नग़मे लुटाता रहूँ तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो मैं तुम्हें देखकर मुस्कराता रहूँ । कितने जलवे फ़िज़ाओं में बिखरे मगर मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगीं

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