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मिलूंगा एक दिन तुमसे जब शाख़ का आख़िरी पत्त्ता अपने

मिलूंगा एक दिन तुमसे
जब शाख़ का आख़िरी पत्त्ता
अपने अस्तित्व के लिए
ढूंढ रहा होगा आसरा
मिलूंगा एक दिन तुमसे
जब शाम ढलने को होगी
जब सब पंछी अपनी
कोटरों में छुप जाएंगे
जब मंदिरो में घंटिया 
मेरी प्रार्थना को सुर देंगे
जब बारिश का पानी
तुम्हारी गली से होकर
मेरे आंगन तक आएगा
जब रात्रि में सोहिनी की तान 
हृदय की क्रन्दना में परिवर्तित होकर
मुझसे राग मिलन गाने को कहेगी
तब मिलूंगा मैं तुमसे.... #मिलूंगातुमसे
मिलूंगा एक दिन तुमसे
जब शाख़ का आख़िरी पत्त्ता
अपने अस्तित्व के लिए
ढूंढ रहा होगा आसरा
मिलूंगा एक दिन तुमसे
जब शाम ढलने को होगी
जब सब पंछी अपनी
कोटरों में छुप जाएंगे
जब मंदिरो में घंटिया 
मेरी प्रार्थना को सुर देंगे
जब बारिश का पानी
तुम्हारी गली से होकर
मेरे आंगन तक आएगा
जब रात्रि में सोहिनी की तान 
हृदय की क्रन्दना में परिवर्तित होकर
मुझसे राग मिलन गाने को कहेगी
तब मिलूंगा मैं तुमसे.... #मिलूंगातुमसे