कहां खेलें और खिलखिलाऐं जनाब। समय का हिसाब-किताब जरा निराला है।। पैनी नजर उनकी, ढूंढ लाती है गर एक भी इशारा है। तोल मोल मे भी सयाने हैं वो,पर दूर अभी किनारा है।। बेचने खिलौनों को वो निकले मासूम से चेहरे। रहमदिल मिले कोई,बस वही भूख का सहारा है।। #aavran #दिल_की_बात #childhood #inequality #आवरण #yqquotes