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कुछ यादें बेहोश है, कुछ खामोश है तन्हाई चुभती है

कुछ यादें बेहोश है, 
कुछ खामोश है तन्हाई
चुभती है रोशनी, 
हवा भी लगती हरजाई।
दिल में पसरा सन्नाटा, 
धड़कन भी मौन है।
क्यों संग है, ये परछाई ? 
ये मेरी कौन है ?


धीरज कुमार
( गम, उदास, परेशान, नीरसता से भरे पल में)
01/04/2020 poetdheer@Twitter #sad #poem  #shayari
कुछ यादें बेहोश है, 
कुछ खामोश है तन्हाई
चुभती है रोशनी, 
हवा भी लगती हरजाई।
दिल में पसरा सन्नाटा, 
धड़कन भी मौन है।
क्यों संग है, ये परछाई ? 
ये मेरी कौन है ?


धीरज कुमार
( गम, उदास, परेशान, नीरसता से भरे पल में)
01/04/2020 poetdheer@Twitter #sad #poem  #shayari

poetdheer@Twitter #SAD #poem #Shayari