" लिखों जो लिखा जा सके , मुहब्बत के एहसासों को जिया जा सके , मेरी खामोशि अब बेजूबान हो रही , खामोशि के इस पहलू को उसे पेश किया जा सके ." --- रबिन्द्र राम " लिखों जो लिखा जा सके , मुहब्बत के एहसासों को जिया जा सके , मेरी खामोशि अब बेजूबान हो रही , खामोशि के इस पहलू को उसे पेश किया जा सके ." --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #एहसासों #बेजूबान