मैं थोड़ा बिखर गया था थोड़ा उसके दीदार को लेकर फिर से टूट कर आया हूं बयां करने कुछ आंखों में नमीं समेटे थोड़ी मायूसी समेटे कुछ उसे सामने न पाने को रहते कुछ खुद के गमों को छुपाए मैं थोड़ा बिखर गया था कुछ मन की हल चल के रहते फिर से टूट कर आया हूं बयां करने हां मैं थोड़ा बिखर गया था। थोड़ा सहमा हुआ, थोड़ा बहका सा फिर टूट कर आया हूं बयां करने थोड़ा मन में डर समेटे, कुछ पुराने सपनों की उड़ान से थके कुछ टूटी हिम्मत के रहते, कुछ टूटे विश्वाश को समेटे। मैं थोड़ा बिखर गया था खुद में खुद को छुपाने को रहते, फिर से टूट कर आया हूं बयां करने फिर से मैं थोड़ा बिखर गया था,। मैं थोड़ा बिखर गया था फिर से टूट कर आया हूं बयां करने, ✍️Vivek Shakya (कुशवाहा जी) #हां_मैं_थोड़ा_बिखर_गया_था