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गुमनाम रहने दो -------------------- इश्क़ के बाज

गुमनाम रहने दो 
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इश्क़ के बाज़ार में मुझको, बे-नाम रहने दो ।
मुहब्बत की गलियों में मुझे, गुमनाम रहने दो ।

इश्क़ का इल्म रखने वाले, बहुत ख़ास हुए ,
मुझे इसकी तालीम नहीं, मुझे आम रहने दो ।

तुम मुझे यूँ ही छोड़कर, जा सकते हो कहीं ,
वो सुबह तुम्हारी हुई, मुझको शाम रहने दो ।

मुहब्बत का गुनाह तो दोनों ने किया मगर ,
तुम्हें बरी करता हूँ, मुझपर इल्ज़ाम रहने दो ।

तुम चाहो तो ये पूरा मयखाना, तुम रख लो ,
मुझे आँखों से नशा होता है, जाम रहने दो ।

मुझको इन मज़हबी जंगलों में मत घसीटो ,
मुझमें अल्लाह, यीशु, गुरू और राम रहने दो ।

संजीव सिंह

©Sanjeev Singh #poetrybysanjeevsingh #sanjeevsinghsuman #kumarsanjeev #Love  #Life 

#darkness
गुमनाम रहने दो 
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इश्क़ के बाज़ार में मुझको, बे-नाम रहने दो ।
मुहब्बत की गलियों में मुझे, गुमनाम रहने दो ।

इश्क़ का इल्म रखने वाले, बहुत ख़ास हुए ,
मुझे इसकी तालीम नहीं, मुझे आम रहने दो ।

तुम मुझे यूँ ही छोड़कर, जा सकते हो कहीं ,
वो सुबह तुम्हारी हुई, मुझको शाम रहने दो ।

मुहब्बत का गुनाह तो दोनों ने किया मगर ,
तुम्हें बरी करता हूँ, मुझपर इल्ज़ाम रहने दो ।

तुम चाहो तो ये पूरा मयखाना, तुम रख लो ,
मुझे आँखों से नशा होता है, जाम रहने दो ।

मुझको इन मज़हबी जंगलों में मत घसीटो ,
मुझमें अल्लाह, यीशु, गुरू और राम रहने दो ।

संजीव सिंह

©Sanjeev Singh #poetrybysanjeevsingh #sanjeevsinghsuman #kumarsanjeev #Love  #Life 

#darkness