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पागल से सपनो के ढेर पर तुम्हारी स्मृतियों के आँचल

पागल से सपनो के ढेर पर 
तुम्हारी स्मृतियों के आँचल पर
नयन भीगी धूप छावँ पर
किन्तु कोई नदी यूँ ना बही पलको पर
रीत तो कई रोए भाग्य पर
मगर कोई घड़ी यूँ ना ठहरी मीत पर
ज्यों आज परछाईं तुम्हारी अंतर्मन पर,

©Kavitri mantasha sultanpuri #मीत 
#KavitriMantashaSultanpuri
पागल से सपनो के ढेर पर 
तुम्हारी स्मृतियों के आँचल पर
नयन भीगी धूप छावँ पर
किन्तु कोई नदी यूँ ना बही पलको पर
रीत तो कई रोए भाग्य पर
मगर कोई घड़ी यूँ ना ठहरी मीत पर
ज्यों आज परछाईं तुम्हारी अंतर्मन पर,

©Kavitri mantasha sultanpuri #मीत 
#KavitriMantashaSultanpuri