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चौकडिया छन्द तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपन

चौकडिया छन्द

तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना ।
देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।।
मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना ।
अपने संग हमे भी लेकर , राहें अच्छी चुनना ।।

जबसे रूठे हमसे सजना , सूना लगता अँगना ।
पायल चुप है बिछुआ चुप है , अरु चुप है अब कँगना ।।
बोलो क्यों हो रूठे हमसे , क्या तुमको है कहना ।
ऐसे मत रूठो तुम हमसे , साथ हमे हैं रहना ।।

०१/०३/२०२३       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना ।
देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।।
मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना ।
अपने संग हमे भी लेकर , राहें अच्छी चुनना ।।

जबसे रूठे हमसे सजना , सूना लगता अँगना ।
पायल चुप है बिछुआ चुप है , अरु चुप है अब कँगना ।।
बोलो क्यों हो रूठे हमसे , क्या तुमको है कहना ।
चौकडिया छन्द

तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना ।
देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।।
मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना ।
अपने संग हमे भी लेकर , राहें अच्छी चुनना ।।

जबसे रूठे हमसे सजना , सूना लगता अँगना ।
पायल चुप है बिछुआ चुप है , अरु चुप है अब कँगना ।।
बोलो क्यों हो रूठे हमसे , क्या तुमको है कहना ।
ऐसे मत रूठो तुम हमसे , साथ हमे हैं रहना ।।

०१/०३/२०२३       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना ।
देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।।
मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना ।
अपने संग हमे भी लेकर , राहें अच्छी चुनना ।।

जबसे रूठे हमसे सजना , सूना लगता अँगना ।
पायल चुप है बिछुआ चुप है , अरु चुप है अब कँगना ।।
बोलो क्यों हो रूठे हमसे , क्या तुमको है कहना ।

तुमको पाकर जीवन सपना , पूरा लगता अपना । देखो हमसे रूठ न जाना , इतना तुमसे कहना ।। मेरे जीवन की यह डोरी , अपने हाथों रखना । अपने संग हमे भी लेकर , राहें अच्छी चुनना ।। जबसे रूठे हमसे सजना , सूना लगता अँगना । पायल चुप है बिछुआ चुप है , अरु चुप है अब कँगना ।। बोलो क्यों हो रूठे हमसे , क्या तुमको है कहना । #कविता