On the Border शुरू हुआ था जो सिलसिला ऐ कुर्बानी आज़ादी के पहले, वो आज़ादी के बाद भी यूँ ही जारी था।।। सन 47, 62 और 65 के जैसे ही 99 भी हम पर भारी था।।। नापाक पाक की तैयारी थी , भारत में घुस जाने की। स्वर्ग जहां है भारत का उस सरजमीं को कब्जाने की।। माह 3 ये युद्ध चला था ,गोलियों की बरसाते थी। द्रास से लेकर टाइगर हिल तक दहली घाटी की राते थी। मौसम सर्द था तेज हवाएं,बर्फबारी भी जारी थी। जवान देश के अडिग थे हरपल, मौत भी उनसे हारी थी।। हज़ार 5 थे वो घुसपैठिये तैयार थे कारगिल आने को ।बेसब्र थे हम भी 72 हूरो से उनको मिलवाने को।। दिल्ली की बैठकों में भी तब कारगिल ही छाया था, अटल ने जाने कितनी दफा तब मुशर्रफ को चेताया था हमसे ना उलझो सुन लो तुम ,हम फिर ये सीख नही देंगे। ज़िंदा जमीन में गाड़ेंगे हम फिर जान की भीख नही देंगे।। जुलाई 26,99 का दिन था हमने हौसला उनका तोडा था। विजय हुए थे कारगिल में हम ,,दुश्मन सीमापार कराकर छोड़ा था।। ©कपिल #kargilvijaydiwas #my nation#my pride