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सूखा सूखा यह रेत समुंदर का बसेरा.. भटकी इधर-उधर ते

सूखा सूखा यह रेत समुंदर का बसेरा..
भटकी इधर-उधर तेरी आंखें अब डेरा..!

भंवरे की करतूत से .....फूल है खफा..
जिन कांटो को छुआ वो जिस्म था मेरा..!

अगर खिल उठी ...तो मुरझाएंगे फूल
इन कांटों के हक में ...ये कैसा सवेरा?

 कैसा भंवरा ..जो समझे काटो की प्यास
मगर..
समुंदर के पानी ने ...प्यास से मुंह फेरा..!

ये मोहब्बत की बूंदे फूलों को मुबारक..
हमें वरदान जीना .....बिन पानी का घेरा.!!

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #कांटों से मोहब्बत

#कांटों से मोहब्बत #शायरी

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