White *रात सजने लगी* शाम ढलने लगी रात सजने लगी दूर कानन कही वेणु बजने लगी तीव्र शीतल मधुर हवा बहने लगी पेड़ की ओट से प्रभा तकने लगी कुसुम रात रानी अब महकने लगी वर्षाप्रिय मंडली शोर करने लगी चाँद को देखकर शमा जलने लगी जमीं थी शिखर पे बर्फ गलने लगी चाँदनी चाँद से गले मिलने लगी फिजा में अजब सी महक घुलने लगी पैर में पैंजनी मधुर बजने लगी कंत खातिर प्रिये सज सँवरने लगी देख सुन्दर छटा नारि नचने लगी प्रेम की हर जगह बात चलने लगी सखी प्रिय मिलन को अति मचलने लगी देख मुख सजन का नारि हँसने लगी लग सजन के गले बाँह कसने लगी विकल थी जो अभी साँस थमने लगी स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #poem #nature #lovesayari #sajal #Friend Sudha Tripathi lumbini shejul