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रहमत मेरे खुदा की इस प्यारी नींद की खातिर, ना जाने

रहमत मेरे खुदा की इस प्यारी नींद की खातिर,
ना जाने क्यूँ बन बैठा था मैं खुद का ही क़ातिल?

अरसों बाद ये शुकून अदा हुई हैं मेरे रूह को,
अब उस जहान में देखूँगा तेरे मुस्कुराते चेहरे को..

ये इर्ष्या, गुस्सा, द्वेष, दर्द से भर गया हैं मेरा मन,
मैं तो कर बैठा था तुमपे अपना सर्वस्व समर्पण..

याद आती हो तुम मेरे नफ़रतों में कई बार,
प्रेम अब भी हैं तुमसे नहीं करता मैं इन्कार..

यूँ देखो नहीं मोहब्बत से मैं तो एक बेचारा हूँ,
दुनिया, दोस्ती, इश्क़, मुकद्दर हर पेहलूँ पर हारा हूँ..

©Bhavesh Thakur रहमत मेरे खुदा की इस प्यारी नींद की खातिर,
ना जाने क्यूँ बन बैठा था मैं खुद का ही क़ातिल?

अरसों बाद ये शुकून अदा हुई हैं मेरे रूह को,
अब उस जहान में देखूँगा तेरे मुस्कुराते चेहरे को..

ये इर्ष्या, गुस्सा, द्वेष, दर्द से भर गया हैं मेरा मन,
मैं तो कर बैठा था तुमपे अपना सर्वस्व समर्पण..
रहमत मेरे खुदा की इस प्यारी नींद की खातिर,
ना जाने क्यूँ बन बैठा था मैं खुद का ही क़ातिल?

अरसों बाद ये शुकून अदा हुई हैं मेरे रूह को,
अब उस जहान में देखूँगा तेरे मुस्कुराते चेहरे को..

ये इर्ष्या, गुस्सा, द्वेष, दर्द से भर गया हैं मेरा मन,
मैं तो कर बैठा था तुमपे अपना सर्वस्व समर्पण..

याद आती हो तुम मेरे नफ़रतों में कई बार,
प्रेम अब भी हैं तुमसे नहीं करता मैं इन्कार..

यूँ देखो नहीं मोहब्बत से मैं तो एक बेचारा हूँ,
दुनिया, दोस्ती, इश्क़, मुकद्दर हर पेहलूँ पर हारा हूँ..

©Bhavesh Thakur रहमत मेरे खुदा की इस प्यारी नींद की खातिर,
ना जाने क्यूँ बन बैठा था मैं खुद का ही क़ातिल?

अरसों बाद ये शुकून अदा हुई हैं मेरे रूह को,
अब उस जहान में देखूँगा तेरे मुस्कुराते चेहरे को..

ये इर्ष्या, गुस्सा, द्वेष, दर्द से भर गया हैं मेरा मन,
मैं तो कर बैठा था तुमपे अपना सर्वस्व समर्पण..

रहमत मेरे खुदा की इस प्यारी नींद की खातिर, ना जाने क्यूँ बन बैठा था मैं खुद का ही क़ातिल? अरसों बाद ये शुकून अदा हुई हैं मेरे रूह को, अब उस जहान में देखूँगा तेरे मुस्कुराते चेहरे को.. ये इर्ष्या, गुस्सा, द्वेष, दर्द से भर गया हैं मेरा मन, मैं तो कर बैठा था तुमपे अपना सर्वस्व समर्पण.. #just #Dont_Be_Serious #Just_For_Fun