इक उबाल और आने दो, कुछ ख़याल और आने दो, क्या कुछ खोया है जीवन में, पछतावे को पछताने दो, दिल से गर्द गुबार मिटाकर, अबकी होली मन जाने दो, सच्चाई का रंग है पक्का, बहलाते कुछ बहकाने दो, छत की याद सताएगी फिर, बादल आज बरस जाने दो, बटवारे का ज़हर न घोलो, आज दिलों को मिल जाने दो, मिलकर चलो साथ में 'गुंजन', मंज़िल को करीब आने दो, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #इक उबाल और आने दो#