अपनी हसीन कहानी का,किरदार बना ले मुझको, ए हसीना! तू अपना तलबगार बना ले मुझको। तेरी जात धर्म है क्या, मुझे फर्क नहीं इससे, हिंदू, मुस्लिम,फिर चाहे, सरदार बना ले मुझको। जिंदगी भर ना भूल सके, जिसे तू चाह कर भी, है गुजारिश कोई ऐसी, यादगार बना ले मुझको। तन मन धन सब कुछ मैं, कर दूंगा तुझपे अर्पण, इस यौवन रूपी जमीन का,जमींदार बना ले मुझको। ओमबीर काजल फिरे तड़पता,रहने को तेरे साथ में, तू बसजा आकर मुझमें,घर बार बना ले मुझको।। ✍Ombir Kajal ©Ombir Kajal ए हसीना