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मीठी थीं ज़ो स्मृतिया अचानक एक दिन कढ़वड़ाहट से भर ग

मीठी थीं ज़ो स्मृतिया
अचानक एक दिन कढ़वड़ाहट से  भर गईं थी. पर 
ये तो शोध का विषय  था
कदाचित  सहेजी गयी  इन मधुर मीठी
स्मृतियों की  श्रखला  में कुछ कड़वी
अनुभूतियों की कोशिकाये  उछल कर
भावुक  ह्रदय की  सख्त कुण्डीयों को खोल
कर   उन  सन्दरभों   का सन्देश  दे रही थी
ज़ो कुछ  बचपन  कुछ  यौवन  काल. की उपलब्धियों से संबंधित  थी  जिन्हे वो उन  क्षणों को पुनः  जीने क़े लीए  छटपटा रही थी

©Parasram Arora मधुर  स्मृतिया.....
मीठी थीं ज़ो स्मृतिया
अचानक एक दिन कढ़वड़ाहट से  भर गईं थी. पर 
ये तो शोध का विषय  था
कदाचित  सहेजी गयी  इन मधुर मीठी
स्मृतियों की  श्रखला  में कुछ कड़वी
अनुभूतियों की कोशिकाये  उछल कर
भावुक  ह्रदय की  सख्त कुण्डीयों को खोल
कर   उन  सन्दरभों   का सन्देश  दे रही थी
ज़ो कुछ  बचपन  कुछ  यौवन  काल. की उपलब्धियों से संबंधित  थी  जिन्हे वो उन  क्षणों को पुनः  जीने क़े लीए  छटपटा रही थी

©Parasram Arora मधुर  स्मृतिया.....