सुनो तुम झरना हो तुम्हें झर ना पडेगा गिरि पथरों के छाति चिर कर बहना पडेगा झाडियों काण्टो के रास्ते पर चलना होगा उँचे खाइयों से गिरना होगा गिरकर भि सम्भल ना होगा प्यासे जानवर को दो बुन्द पिलाना होगा तब तक जब तक तेरि छाति से सारि अमृत सुख ना जाए किसी समन्दर के बाहों मे मिल ना जाए तुम्हें बहना होगा सारि गन्दगी को गोदी मे लेकर बहना होगा सारी पिडा और संबेदना को सहना होगा चिन्मय मिश्र बहना पडेगा #hills