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(शीशा) रोज पत्थर की हिमायत में गजल लिखते हैं। रोज

(शीशा)
रोज पत्थर की हिमायत में गजल लिखते हैं।

रोज शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।

©fake_jindgi06 #ghazal#shisha#peot#
(शीशा)
रोज पत्थर की हिमायत में गजल लिखते हैं।

रोज शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।

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sukhpal8035

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