धीरे चलो चुपचाप चलो और जीवन को घटने दो जीवन मे स्वतंत्रतः और आकाश दोनों का अनोखा अहसास होने दो तुम शामिल हो जाओ परिंदो के उस कुनबे मे जो पिंजरों से परहेज़ करते हैँ. या फिर मुक्त करलो खुदको. आकर्षण और विकर्षण के मायावी चुंबक से क्योंकि सभी अंधानुकरण अस्वस्थ हैँ जीवन को घटने दो.......