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मैंने देखा वह मकड़ी लौट आईं है अपने घर की तलाश में

मैंने देखा वह मकड़ी लौट आईं है अपने घर की तलाश में इधर-उधर भटक रहीं है, मैंने आज उस जाला को नहीं किसी के घर को तोड़ा है लेकिन आज तो हर समय कुछ-ना-कुछ टूट ही रहा सिर्फ़ आवाजे किसी के कान तक नहीं पहुंच रही है।

©मुसाफिर
  #वक्त_और_जिन्दगी