यादे है वे चरागाहै.. विशाल. वृक्षों क़े. झुरमुट वो नदी पर अठखेलिया करती लहरों क़े जमघट वो गुलो की बस्तिया तितलियों क़े पनघट ताज़ा ख़्वाबों की खुशबू. और नज़ारो का नूर चहचहआती चांदनी मे नहाया हुआ रतनारी तारो का पूर स्वछ आकाश की नीलिमा का नदी पर. पर गिरता हुआ अक्स और उगते आफताब की पहली किरण का विजयनाद क्षितिज की. लक्ष्मण रेखा का उललंघन करतावहुआ विहंग दल खेत खलिहानो मे बिछी हुई ये समृद्ध सुषमा फ़सल ये सिर्फ बीती हुई अनहोनियों की गाथा है और अब मै होनी की उदास रंगीनियो क़े मजे ले रहा हूँ # अनहोनियों की गाथा