आज सुबह ही वो खिली थी , उसकी आँखे अभी अधखुली थी. वो तो अभी कली थी , डालियाँ उसके आने से झुकी थी. हवाएँ उसे झूला रही थी , उसके चमक में दुनिया चुंधिया गयी थी . उसकी उमंगें हिलोरे मार रही थी , उसकी उमर अभी आधी अधूरी थी . न जाने कैसे , उस पर एक जालिम की नज़र पड़ी थी . उसे देखते ही वो उसे तोड़ गया था . उसे बुरी तरह मरोड़ गया था . उसके रस को वो निचोड़ गया था अपनी बेबसी पे वो रो भी नहीं सकी थी . उसकी चमक अब फीकी पड़ गयी थी अब वो एक नाचनेवाली के बालो में गुंथी थी . #NojotoQuote न जाने कैसे