हँसी ख़ुशी में दिन बीते, हार गया मैं तुम जीते, अबकी बारिश में देखो, भींग गया मन तन रीते, हार-जीत कैसी अबतो, चाक गिरेबां ख़ुद सीते, दर्द में लिपटी रात मिली, ग़म का प्याला सब पीते, अपनी-अपनी क़िस्मत है, जीवन को सब हैं जीते, राय-शुमारी क्या करनी, अच्छे दिन जो संग बीते, चमक चाँदनी है बाहर, भीतर-भीतर सब फीके, जख़्म छुपाकर है रक्खा, मरहम नहीं मिला मीते, 'गुंजन' दिल तो बच्चा है, बहला कर ही दिन बीते, *शशि भूषण मिश्र'गुंजन'* *चेन्नई तमिलनाडु* ©Shashi Bhushan Mishra #दिन बीते#