वादे बरसों से जो सजाया था वो ख्वाब पल में टूट गया मेरी एक नादानी से चांद सा मुखड़ा रूठ गया।। वादा था एक दूजे से बेशुमार मोहब्बत का चंद बेहूदा अल्फाजों से ये साथ कैसे छूट गया।। इश्क का ये आशियां अश्कों को कब से भा गया तेरी मेरी कहानी में जमाना कहां से आ गया।। #वादे