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हम मिले फिर उसी जगह... उसी समय उसी तरह... नज़रें

हम मिले फिर उसी जगह...
उसी समय उसी  तरह...
नज़रें मिलीं.. मगर दिल खामोश था...
आँखें खुली थीं मगर किसे होश था...?
तुम सामने तो थे मेरे...
पर शायद मेरे नहीं थे...
तुम्हें देख के लगा ऐसे की...
अंधेरी रातें तो थीं मेरी...
पर शायद मेरे वो सवेरे नहीं थे...
वो झील सी गेहरी आँखें तुम्हारी...
वही दबी तिरछी मुस्कान...
वही पलकें झुकाना मेरा... 
वही तुम्हारा नज़रें उठाना... 
वही समा... वही आसमां... 
तुम वही मैं वही... 
बस वही हम नहीं.. 
बस वही हम नहीं.. bas hum nahin
हम मिले फिर उसी जगह...
उसी समय उसी  तरह...
नज़रें मिलीं.. मगर दिल खामोश था...
आँखें खुली थीं मगर किसे होश था...?
तुम सामने तो थे मेरे...
पर शायद मेरे नहीं थे...
तुम्हें देख के लगा ऐसे की...
अंधेरी रातें तो थीं मेरी...
पर शायद मेरे वो सवेरे नहीं थे...
वो झील सी गेहरी आँखें तुम्हारी...
वही दबी तिरछी मुस्कान...
वही पलकें झुकाना मेरा... 
वही तुम्हारा नज़रें उठाना... 
वही समा... वही आसमां... 
तुम वही मैं वही... 
बस वही हम नहीं.. 
बस वही हम नहीं.. bas hum nahin

bas hum nahin