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ज़ो भी कहता हूं. मैं अपनी नही जग की कहता हूं वक़्त

ज़ो भी  कहता हूं. मैं
अपनी नही जग की कहता हूं

वक़्त मुझसे  आगे चलने की कोशिश कर रहा है
पर मैं हमेशा वक़्त के आगे   चलता हूं.

गर्म हवाएं बह जातीहै ऊपर से 
और मैं सर्द हवाओं में ठिठुरता रहता. हूं 

दोस्ती मेरे लिये किसी इबादत से कम नही है
इसलिए दोस्तों का इलज़ाम अपने सर लेता हू

ज़ब भी चाँद ने की है बेअदबी
मैं तारो को. छुप  जाने की  सलाह देता हूं

तुमने  जाने क्या लिखा था खत में
और मैं न जाने क्या समझ गया हूं

©Parasram Arora ज़ो भी कहता हूं मैं.....
ज़ो भी  कहता हूं. मैं
अपनी नही जग की कहता हूं

वक़्त मुझसे  आगे चलने की कोशिश कर रहा है
पर मैं हमेशा वक़्त के आगे   चलता हूं.

गर्म हवाएं बह जातीहै ऊपर से 
और मैं सर्द हवाओं में ठिठुरता रहता. हूं 

दोस्ती मेरे लिये किसी इबादत से कम नही है
इसलिए दोस्तों का इलज़ाम अपने सर लेता हू

ज़ब भी चाँद ने की है बेअदबी
मैं तारो को. छुप  जाने की  सलाह देता हूं

तुमने  जाने क्या लिखा था खत में
और मैं न जाने क्या समझ गया हूं

©Parasram Arora ज़ो भी कहता हूं मैं.....