।। पिता ।। " पिता का साया वो महफूज़ जहां हैं ख़ुदा भी महफूज़ वहां हैं कितनी भी हो कठिनाई पिता ने दी सब दूर भगाई आज रोने बैठी हूं तो क्यों नहीं उनकी कोई आहट अाई हैं ईश्वर क्यों जीवन, मृत्यु की रीत बनाई बनाना ही था तो क्यों,बेटियां पिता की परी बनाई बिदाई कर दुरी दी फ़िर ख़ुद भी ले ली जीवन से विदाई है ईश्वर क्यों जीवन मृत्यु की रीत बनाई " kanchan Yadav #fathers