कल सड़क पर फिर मासूम पीटे गए । गाँधी, नेहरू, बाबा अम्बेडकर के नाम दंगो पर घसीटे गए । मानवता के लहू के जो शिलालेख पर छिटे गए । सिंघासन की चाहत में जो यमपाश फेंके गए । निष्ठुर हो गए प्राण तब,जब सड़को पर बच्चो की सिसकियों मे माँ, बाप के शव लपेटे गए ।। "हर महापुरुष आज इस मानवता की पराजय पर शर्मिंदा है । कलयुग के दुर्योधनों तुम्हारे इस लाक्षागृह की घोर घोर घोर निंदा है ।। देवांश पराशर #DevanshParashar#nojoto#Kavishala#Nojotohindi#2Liner#Poem#Poemaggenstvoilance