सफर पर अपने,जितना तय किया है, ये तो मात्र आधा है, चलना मुश्किल हो रहा अब, खुद की ख़्वावाहिशों का वजन ज्यादा है। Read in caption रुकती,थाहती,फिर चलती अनमनी-सी, निकल रही थी अपनी यात्रा पर, कुछ सवाल,कुछ बेचैनियाँ ले कर। सामान ज्यादा था, थक रही थी मैं,ढ़ोते हुए सारे छोटे-बड़े गठ्ठर।