हवा ना धर्म देखें है,ना मजहब देखती है। ये तो शब्द मात्र है, जिन पर दुनिया झगड़ती है। ऐसे दौर कई आए है जहां ये दीवारें टूटती है। बस! विडंबना यही ये अनवरत नहीं चलती है। ©Kumar Deep Bodhi ऑक्सिजन #Nodiscrimination