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कभी कभी तो तुमसे गिरधर , हम देख श

कभी कभी तो तुमसे गिरधर , 
                हम देख शिकायत करते है ,
ये दिन ही दिखलाना था तो , 
                 फिर जीवन क्यों ये देते हैं ।

धर्म कर्म का पाठ पढा़या 
गीता के उपदेशों में ,
जीने की हर राह बताई 
गीता के उपदेशों में ,
हमने उसको खुद में ढ़ाला 
फिर जीवन के संघर्षों में ,
राह मिली तो माया बेड़ी 
जकड़े पैरो को जंजीरों में ,
बात वो ही फिर याद आई 
उन सात धर्म के फेरों में ,
तुम छलिया हो छलते सबको
अब माया के उँजियारों में ,
स्वप्न सुहाने  देकर सबको 
तुम आए सबके जीवन में,
पल में रूठे पल में माने 
अब बसते सबके नयनन में,
पीर से पहले आसुँ बनके 
तुम बसते सबके नयनन से
आके राह दिखाओ फिर से 
राह भटके सभी कलयुग में, 
अब जीवन इतना सरल नहीं 
जो सुलझे उन उपदेशों में,
फिर भक्तो पे दोष ना देना 
भक्तो की अंधी भक्ती में

कभी कभी तो तुमसे गिरधर 
                हम देख शिकायत करते हैं ।
ये जीवन ऐसे लेना था
                तो जीवन ही क्यों देते हैं ।।

               महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कभी कभी तो तुमसे गिरधर , 
                हम देख शिकायत करते है ,
ये दिन ही दिखलाना था तो , 
                 फिर जीवन क्यों ये देते हैं ।

धर्म कर्म का पाठ पढा़या 
गीता के उपदेशों में ,
जीने की हर राह बताई
कभी कभी तो तुमसे गिरधर , 
                हम देख शिकायत करते है ,
ये दिन ही दिखलाना था तो , 
                 फिर जीवन क्यों ये देते हैं ।

धर्म कर्म का पाठ पढा़या 
गीता के उपदेशों में ,
जीने की हर राह बताई 
गीता के उपदेशों में ,
हमने उसको खुद में ढ़ाला 
फिर जीवन के संघर्षों में ,
राह मिली तो माया बेड़ी 
जकड़े पैरो को जंजीरों में ,
बात वो ही फिर याद आई 
उन सात धर्म के फेरों में ,
तुम छलिया हो छलते सबको
अब माया के उँजियारों में ,
स्वप्न सुहाने  देकर सबको 
तुम आए सबके जीवन में,
पल में रूठे पल में माने 
अब बसते सबके नयनन में,
पीर से पहले आसुँ बनके 
तुम बसते सबके नयनन से
आके राह दिखाओ फिर से 
राह भटके सभी कलयुग में, 
अब जीवन इतना सरल नहीं 
जो सुलझे उन उपदेशों में,
फिर भक्तो पे दोष ना देना 
भक्तो की अंधी भक्ती में

कभी कभी तो तुमसे गिरधर 
                हम देख शिकायत करते हैं ।
ये जीवन ऐसे लेना था
                तो जीवन ही क्यों देते हैं ।।

               महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कभी कभी तो तुमसे गिरधर , 
                हम देख शिकायत करते है ,
ये दिन ही दिखलाना था तो , 
                 फिर जीवन क्यों ये देते हैं ।

धर्म कर्म का पाठ पढा़या 
गीता के उपदेशों में ,
जीने की हर राह बताई

कभी कभी तो तुमसे गिरधर , हम देख शिकायत करते है , ये दिन ही दिखलाना था तो , फिर जीवन क्यों ये देते हैं । धर्म कर्म का पाठ पढा़या गीता के उपदेशों में , जीने की हर राह बताई #कविता