चंद लफ़्ज़ों में सिमटने लगी थी बातचीत वक्त तुम्हें नहीं मिलता मै लगाती रही हाजिरी ख़ामोश शिकायतें तुम तक जिस तरह पहुंची मुझे फक्र हुआ तुम्हे वास्तव में फिक्र है मेरी बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla फक्र