हालात पर 'रहम' कर गुनाहों से "शर्म" कर कभी 'भ्रम" में ना मर बस 'अपना' कर्म कर रोता किसके लिए है "कौन" 'यहाँ' है तेरा "आँसू" बहाया मत कर जब तक जीवन हो तेरा ढोता जा फर्ज को सहता जा हर दर्द को कभी 'भ्रम" में ना मर बस 'अपना' कर्म कर हालात पर 'रहम' कर गुनाहों से "शर्म" कर ©अनुषी का पिटारा.. #गुनाह_से_शर्म_कर