संज्ञा औऱ सर्वनाम तो पहले से ही मौजूद थे पर विशेषणों ने आकर जी धमाल की हैँ उसीसे रक्तरंजित हुईं हैँ ये धरती निलंबित हुईं हैँ मानवीय योजनाए औऱ नर्क के द्वार पर स्वर्ग की तख्ती लगा कर भृमित किया जा रहा हैँ मानव को इसीलिए वो इस आभासी स्वर्ग की तीर्थयात्रा पर जाये बिना रुकता नहीं हैँ आभासी स्वर्ग