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गरज़ते बादलों से कांपता रहा ज़हां सारा पागलों को मौक

गरज़ते बादलों से कांपता रहा ज़हां सारा
पागलों को मौका-ए-दिल्लगी ये लगी
टूट कर आसमां भी गिर जाएगा लगा
जमीं क़तरे में बट सी जाएगी ऐसा लगा
लगा की आफ़ताब बूझ गया बारिश से लड़ के
अंधेरे ने अमरत्व पा ही लिया ऐसा लगा
आँधीयों ने बर्बाद किया हुज़रा सारा
महलों को हवा की तासीर अच्छी लगी हुज़रा-कुटीया
#tabaahi
#kaccha_shayar
गरज़ते बादलों से कांपता रहा ज़हां सारा
पागलों को मौका-ए-दिल्लगी ये लगी
टूट कर आसमां भी गिर जाएगा लगा
जमीं क़तरे में बट सी जाएगी ऐसा लगा
लगा की आफ़ताब बूझ गया बारिश से लड़ के
अंधेरे ने अमरत्व पा ही लिया ऐसा लगा
आँधीयों ने बर्बाद किया हुज़रा सारा
महलों को हवा की तासीर अच्छी लगी हुज़रा-कुटीया
#tabaahi
#kaccha_shayar